उधर जुल्फों में कंघी हो रही हे ख़म निकलता हे, इधर रुक रुक के खिंच खिंच के हमारा दम निकलता हे
इलाह खेर हो उलझन पे उलझने बढती जाती हे न उनका ख़म निकलता हे न हमारा दम
बहुत खुबसूरत हे मेरा सनम ,
खुदा ऐसे मुखड़े बनाता हे कम
बहुत खुबसूरत
उठी हे जो शर्मीली कजरारी आंखे, तो सूरज की लो थरथराने लगी हे
जो सर से गिरा हे ये रंगीन आँचल हया इन नजारो को आने लगी हे
धनक टूट आया बदन में जो ख़म
बहुत खुबसूरत
संवारी गयी होगी जब तेरी जुल्फे उडी होंगी लाखो फरिश्तो की नींदे
बनाये गए होंगे जब होंट तेरे कई साल निकले ना होंगे सवेरे
क़यामत जगाते हे तेरे कदम
बहुत खुबसूरत
इलाह खेर हो उलझन पे उलझने बढती जाती हे न उनका ख़म निकलता हे न हमारा दम
बहुत खुबसूरत हे मेरा सनम ,
खुदा ऐसे मुखड़े बनाता हे कम
बहुत खुबसूरत
उठी हे जो शर्मीली कजरारी आंखे, तो सूरज की लो थरथराने लगी हे
जो सर से गिरा हे ये रंगीन आँचल हया इन नजारो को आने लगी हे
धनक टूट आया बदन में जो ख़म
बहुत खुबसूरत
संवारी गयी होगी जब तेरी जुल्फे उडी होंगी लाखो फरिश्तो की नींदे
बनाये गए होंगे जब होंट तेरे कई साल निकले ना होंगे सवेरे
क़यामत जगाते हे तेरे कदम
बहुत खुबसूरत
जहा चलते चलते कदम रुक गए हो समझ लो बहारो को मंजिल वही है
खुदा की कसम तू जहा से हसीन है कोई दूसरा तुझसा मुमकिन नही है
बना के मुस्सविर ने तोड़ा कलम
बहुत खूबसूरत
Beautiful. Please can you share the translation to English as well particularly the bit on "dhanak... "
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete