कच्ची दीवार हु - गुलाम अली खां

कच्ची दीवार हु ठोकर ना लगाना मुझको
अपनी नज़रो में बसा कर न गिराना मुझको
कच्ची दीवार हु

तुमको इन आँखों मे तस्सवर की तरह रखता हूं
दिल मे धड़कन की तरह तुम भी बसाना मुझको
कच्ची दीवार हु ठोकर

बात करने में जो मुश्किल हो तुम्हे महफ़िल में
में समझ जाऊंगा नज़रो से बताना मुझको
कच्ची दीवार हु ठोकर

वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो
ख्वाब पूरा जो न हो वो न दिखाना मुझको
कच्ची दीवार हु ठोकर

अपने रिश्ते की नजाकत का भरम रख लेना
में तो आशिक़ हु दीवाना ना बनाना मुझको
कच्ची दीवार हु ठोकर

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