काश ऐसा कोई मंजर होता - हरिहरन



काश ऐसा कोई मंज़र होता ................2
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

जमा करता जो में आये हुए संघ ...................2
सर छुपाने के लिए घर होता..........................2
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

इस बुलंदी पे बहुत तनहा हु ...........................2
काश में सबके बराबर होता ..........................2
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता

उसने उलझा दिया दुनिया में मुझे.................2
वरना एक और कलंदर होता ........................2
मेरे काँधे पे तेरा सर होता
काश ऐसा कोई मंज़र होता


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