फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
फिर पत्तो की पाजेब बजी तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
फिर कुंजे बोली घास के हरे समन्दर में
रुत आई पीले फूलो की
तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
पहले तो में चीख के रोया और फिर हसने लगा
बादल गरजा बिजली चमकी तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
फिर कागा बोला घर के सुने आँगन में
फिर अमृत रस की बूंद पड़ी तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
दिन भर तो में दुनिया के धंधो में खोया रहा
जब दीवारों से धुप ढली तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
पहले तो में चीख के रोया और फिर हसने लगा
बादल गरजा बिजली चमकी तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
फिर कागा बोला घर के सुने आँगन में
फिर अमृत रस की बूंद पड़ी तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
दिन भर तो में दुनिया के धंधो में खोया रहा
जब दीवारों से धुप ढली तुम याद आये तुम याद आये
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये तुम याद आये
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