कोई साया झिलमिलाया - हरिहरन

कोई साया झिलमिलाया रात के पिछले पहर
फिर मुजे वो याद रात के पिछले पहर
कोई साया झिलमिलाया रात

भीगते लम्हे सुलगती रात ओर तन्हाइयां
सबने दीवाना बनाया रात के पिछले पहर
फिर मुजे वो याद रात के पिछले पहर
कोई साया झिलमिलाया रात

हम तो अपने आप ही से गुफ्तगू करते रहे
हाल-ए-दिल खुद को सुनाया रात के पिछले पहर
फिर मुजे वो याद रात के पिछले पहर
कोई साया झिलमिलाया रात

जाते जाते अश्क़ सारी रात ही जाती रही
आते आते वो न आया रात के पिछले पहर
फिर मुजे वो याद रात के पिछले पहर
कोई साया झिलमिलाया रात

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