मुद्ह्हतो गम पे गम उठाये हे तब जाके कही मुस्कुराये हे
इक निगाहे खुरुस की खातिर जिंदगी भर फरेब खाए हे
मुझे फिर वही याद आने लगे हे
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हे
सुना हे हमें वो भुलाने लगे हे
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हे
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हे
मुझे फिर वही
ये कहना उनसे मोहब्बत हे मुजको
ये कहने में उनसे ज़माने लगे हे
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हे
मुझे फिर वही
क़यामत यक़ीनन करीब आ गयी हे
खुमार अब तो मस्जिद में जाने लगे हे
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हे
मुझे फिर वही
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