इतना टूटा हूँ - गुलाम अली खां

इतना टूटा हु के छूने से बिखर जाऊंगा......2
अब अगर ओर दुआ दोगे तो मर जाऊंगा
इतना टूटा हु

पूछकर मेरा पता वक्त राहे गाया ना करो...2
में तो बंजारा हु क्या जाने किधर जाऊंगा..2
अब अगर ओर दुआ दोगे तो मर जाऊंगा
इतना टूटा हु

हर तरफ धुंध है जुगनू है ना चराग कोई.....2
कौन पहचानेगा बस्ती में अगर जाऊंगा...2
अब अगर ओर दुआ दोगे तो मर जाऊंगा
इतना टूटा हु

ज़िन्दगी में भी मुसाफिर हु तेरी कश्ती का.....2
तू जंहा मुझसे कहेगी में उतर जाऊंगा.....2
अब अगर ओर दुआ दोगे तो मर जाऊंगा
इतना टूटा हु

फूल रह जाएंगे गुलदाम में यादो की नज़र.....2
में तो खुशबू हु फिज़ाओ में बिखर जाऊंगा....2
अब अगर ओर दुआ दोगे तो मर जाऊंगा
इतना टूटा हु

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