कोंपले फिर फुट आयी है - मेहदी हसन

कोंपले फिर फुट आयी है शाख पर कहना उसे
वो न समझा है ना समझेगा मगर कहना उसे
कोंपले फिर फुट आयी है

वक्त का तूफान हर इक शहर बहा कर ले गया
कितने तन्हा हो गयी फिर रहगुजर कहना उसे 
वो न समझा है ना समझेगा मगर कहना उसे
कोंपले फिर फुट आयी है

जा रहा है छोड़कर तन्हा मुजे जिसके लिए
चैन न दे पाएगा वो सिमुझर कहना उसे
वो न समझा है ना समझेगा मगर कहना उसे
कोंपले फिर फुट आयी है

रिस रहा वो खून दिल से लब मगर हंसते रहे
कर गया बर्बाद मुझको ये हुनर कहना उसे
वो न समझा है ना समझेगा मगर कहना उसे
कोंपले फिर फुट आयी है

जिसने जख्मो से मेरा शहजाद सीना भर दिया
मुस्कुरा कर आज प्यारे चारागर कहना उसे
वो न समझा है ना समझेगा मगर कहना उसे
कोंपले फिर फुट आयी है


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