जहा जाके चैन से मर सकू कभी लौट के भी ना आ सकू
मुझे कोई ऐसी जगह बता जहा तुझको दिल से भुला सकू
जो तुझे पता हो तो ये बता गम-ए-इश्क़ का इलाज है क्या
मुझे तूने दर्द दिया है वो न बता सकू न छुपा सकू
जहा जाके चैन से मर सकू कभी लौट के भी ना आ सकू
जो समझ मे कुछ भी न आ सके तो नतीजे वक्त पे छोड़ दे
मुझे कुछ न दे ये दुवा ही दे तेरे नक्श दिल से मिटा सकू
जहा जाके चैन से मर सकू कभी लौट के भी ना आ सकू
कोई राज़दार मीले कही कोई गमगुजार मिले कही
कही साहिल ऐसा रफीक हो जिसे दाग दिल के दिखा सकू
जहा जाके चैन से मर सकू कभी लौट के भी ना आ सकू
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