दिल से निकली हुई - गुलाम अली खां

दिल से निकली हुई दुआ तू है
कैसे कह दु के बेवफा तू है
दिल से निकली

दिल धड़कता है तेरी यादों से
मेरी सांसो का सिलसिला तू है
दिल से निकली
तू रुके तो में कैसे चलता रहू
मेरी मंजिल का रास्ता तू है
दिल से निकली

तोहमतों से कुरेज क्यों कर लो
में फरिश्ता हु न खूदा तू है
दिल से निकली


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