रंजिश ही सही - मेहदी हसन


रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
रंजिश ही सही

पहले से मरासिन ना सही फिर भी कभी तो
रस्मो रहे दुनिया ही निभाने के लिए
रंजिश ही सही

माना के मोहब्बत का छुपाना हे मोहब्बत
छुपके से किसी रोज जताने के लिए आ
रंजिश ही सही

कुछ तो मेरे पिन्दार-ए- मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
रंजिश ही सही

जेसे तुझे आते हे ना आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज न जाने के लिए आ
रंजिश ही सही






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