तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - जगजीत सिंह


तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो

आंखों में नमी हंसी लबो पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो

बन जाएंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क़ जो पीते जा रहै हो

जिन जख्मो को वक्त भर चला है
तुम क्यू उन्हें छेड़े जा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो

रेखाओ का खेल है मुकद्दर
रेखाओ से मात खा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो

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