चुपके चुपके रात दिन-गुलाम अली खां

चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है ...2
हमको अब तक आशिक़ी का वो जमाना याद है
चुपके चुपके रात

तुजसे मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा.....2
ओर तेरा दांतो में वो उंगली दबाना याद आता है.2
चुपके चुपके रात

चोरी चोरी हमसे तुम आकर मिले थे जिस जगह....2
मुद्दते गुज़री पर अब तक वो ठिकाना याद है....2
चुपके चुपके रात

खेंच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़्तत्तन......2
ओर दुपट्टे से तेरा वो मुँह छुपाना याद है ....2
चुपके चुपके रात

दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए.....2
वो तेरा कोठे पे यू नंगे पांव आना याद है...2
चुपके चुपके रात


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