हर दर्द को ऐ जान में सीने में छुपा लू
कांटे तेरी राहो के में पलको पे सजा लू
हर दर्द को में
बिछड़ी है मेरी नींद भी बिछड़ा है तू जबसे
जी चाहे तुझे रोज ही ख्वाबो में बुला लू
हर दर्द को में
तू पास न आ थाम जरा दामन को बड़ा देख
अश्को को कहा तक मे इन आँखों मे संभालू
हर दर्द को
ये इश्क़ का इल्जाम भी इल्जाम है कोई
तेरे लिए दुनिया के हर इल्जाम उठा लू
हर दर्द को
ले जाये कहा जाने हमे वक्त का दरिया
इस दिल पे लगे जख्म जरा आज दिखा लू
हर दर्द को
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