जब चाहा जज्बात - चन्दन दास


जब चाहा जज्बात से खेले जब चाहा दिल तोड़ दिया ..
हमने भी ऐसे लोगो से मिलना जुलना छोड़ दिया
जब चाहा जज्बात

तुमको कुछ एहसास नहीं हे हैरत तो इस बात की हे
तुमने तो बातो बातो में दिल का छाला फोड़ दिया
हमने भी ऐसे लोगो से मिलना जुलना छोड़ दिया
जब चाहा जज्बात

रह रह कर ये सोच रहा हु कौन हे ऐसा जादूगर
जिसकी इक आवाज ने बढ़ते तुफा का रुख मोड़ दिया
हमने भी ऐसे लोगो से मिलना जुलना छोड़ दिया
जब चाहा जज्बात

क्या करना था क्या कर बेठे, सोचा समझा कुछ भी नहीं
तुम भी तनहा हो मुझको भी तुमने तनहा छोड़ दिया
हमने भी ऐसे लोगो से मिलना जुलना छोड़ दिया
जब चाहा जज्बात





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